ट्रांसजेंडरों के लिए अलग टॉयलेट पर केंद्रीय मंत्री का जवाब:’स्वच्छता राजदूत‘ की शिकायत इंदौर में निगम के 300 सार्वजनिक टॉयलेट लेकिन ट्रांसजेंडर के लिए एक भी नहीं

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देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में सार्वजनिक स्थलों पर अलग शौचालय नहीं होने से ट्रांसजेंडर्स समुदाय लंबे समय से इस परेशानी से जूझ रहा है। मामले में केंद्रीय सामाजिक न्याय विभाग मंत्री वीरेंद्र कुमार खटीक ने इस सवाल के जवाब में कहा है कि ट्रांसजेंडर के संबंध में हम देश के सभी राज्य, सोशल वेलफेयर मिनिस्ट्री के जो सेक्रेट्री है, मंत्री है उनकी कार्यशाला करने वाले हैं। जिसमें ट्रांसजेंडर के साथ-साथ मंत्रालय से संबंधित जो भी मुद्दे है, उनके बारे में सामूहिक रूप से चर्चा करके निराकरण की दिशा में आगे बढ़ेंगे। रविवार को बीजेपी कार्यालय पर केंद्रीय सामाजिक न्याय विभाग मंत्री वीरेंद्र कुमार खटीक भाजपा कार्यालय पर मीडिया से मुखातिब हुए। इस दौरान बजट पर उन्होंने अपनी बात रखी और सवालों के जवाब दिए। इस दौरान उन्होंने विपक्ष द्वारा राज्यों से भेदभाव के आरोपों को गलत बताया। कहा कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम के समय जो प्रतिबद्धताएं थी, जिन्हें कांग्रेस को पूरा करना था। वो उन्होंने नहीं किया। हम तो उनके काम को करने का काम सबका साथ सबका विकास के आधार पर कर रहे हैं। किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया है। सभी के साथ समानता का भाव है। जीएसटी का कलेक्शन राज्यों के जिस अनुपात में होता है। उसी अनुपात में सभी राज्यों को बराबरी के साथ आवंटित किया जाता है। किसी भी राज्य के लिए जब एनएचएआई का पैसा जाता है तो वो एक क्षेत्र के लिए नहीं जाता है। एनएचएआई सभी राज्यों को जोड़ता हुआ जाता है। पेयजल, आवास योजनाएं जब बनती है तो सभी को इसका फायदा होता है। प्रेस कांफ्रेंस में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे सहित अन्य नेता और संगठन पदाधिकारी मौजूद थे। मंत्री खटीक ने ये भी कहा… – विपक्ष हताशा, निराशा और उदासी के दौर से गुजर रहा है। जनता ने तीसरी बार उन्हें विपक्ष में बैठने के लिए जनादेश दे दिया है। उनके पास कोई मुद्दा नहीं है और इसलिए वे झल्लाए हुए हैं। यही कारण है कि बजट को लेकर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। – सवालों के जवाब में मंत्री खटीक ने यह भी दावा किया कि इस बजट से निवेशकों में उत्साह का वातावरण है। शुरू में जरूर निराशा का वातावरण बनाने की कोशिश की गई थी लेकिन बड़ी संख्या में घरेलू और विदेशी निवेशक भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। स्वच्छता राजदूत ने की है शिकायत दरअसल, ट्रांसजेंडर समुदाय से जुड़ी संध्या घावरी ने शिकायत की है। स्थानीय प्रशासन से ट्रांसजेंडर के लिए सार्वजनिक स्थालों पर अलग से शौचालयों की व्यवस्था करने की मांग की है। संध्या घावरी इंदौर नगर निगम की स्वच्छता राजदूत है। संध्या घावरी का कहना है कि हम लंबे समय से प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि शहर के सार्वजनिक शौचायलयों में ट्रांसजेंडर के लिए अलग व्यवस्था की जानी चाहिए लेकिन दुर्भाग्य से यह मांग अब तक पूरी नहीं हुई है। महिलाओं की वेशभूषा में रहने वाले ट्रांसजेंडर सार्वजनिक स्थलों पर महिला शौचालय का इस्तेमाल करने में बेहद असहज महसूस करते हैं। इसी तरह महिलाएं भी सार्वजनिक शौचालय में ट्रांसजेंडर को देखकर असहज हो जाती हैं। सामाजिक वर्जनाओं के चलते ट्रांसमैन भी सार्वजनिक स्थलों पर पुरुष शौचालय का इस्तेमाल करने से बचते हैं। इंदौर में ट्रांसजेंडर समुदाय के करीब 1500 सदस्य हैं और इनमें ऐसे लोगों की बड़ी तादाद है जो परिवार और समाज के डर से अपने मुद्दों के लिए खुलकर सामने नहीं आ पाते। फिलहाल एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं वहीं सामाजिक न्याय विभाग की संयुक्त संचालक सुचिता तिर्की ने कहा कि इंदौर शहर में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए फिलहाल एक भी अलग सार्वजनिक शौचालय नहीं है। हम शहर में वे सार्वजनिक स्थान चिन्हित कर रहे हैं जहां उनके लिए अलग शौचालय बनवाया जा सकते हैं। अधिकारियों के मुताबिक शहर में इंदौर नगर निगम ने करीब 300 सार्वजनिक शौचालय बनवाए हैं लेकिन इनमें भी ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए अलग व्यवस्था नहीं है। ये है नियम ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम 2020 के साथ ही स्वच्छ भारत मिशन के तहत भी ट्रांसजेंडर समुदाय को शौचालयों की उचित सुविधा दिए जाने का प्रावधान किया गया है। इस प्रावधान को अमली जामा पहनाने की जिम्मेदारी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की है।