भू अतिक्रमण और समान नागरिक संहिता पर आयोजित एक दिवसीय परिसंवाद आज राजधानी में होने वाला है। इस आयोजन के मुख्य वक्ता सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और संविधान विशेषज्ञ (पीआईएल मैन आफ इंडिया) होंगे जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता तुलसी मानस प्रतिष्ठान के अध्यक्ष व पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा करेंगे। विशिष्ट अतिथि के तौर पर विधायक भगवान दास सबनानी और राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ निवेदिता शर्मा मौजूद रहेंगी। धर्म संस्कृति समिति के तत्वावधान में इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। अभी हाल ही में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने तीन तलाक से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर टिप्पणी भी की। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) केवल कागजों तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिए बल्कि इसे वास्तविकता बनना चाहिए। इसी तरह से एक विषय भू-अतिक्रमण का है। इस विषय की गंभीरता को भी सभी को आज समझने की आवश्यकता है। आयोजन समिति ने कहा कि भारत में सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होने वाले कानूनों में एक जैसी समानता हो, यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 के भाग 4 में निहित है। इसका उद्देश्य पूरे देश में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता था। विवाह, तलाक, भरण-पोषण, विरासत, गोद लेने और उत्तराधिकार जैसे क्षेत्रों को कवर करते हुए, यह संहिता इस सिद्धांत पर आधारित है कि आधुनिक सभ्यता में मत, मजहब, रिलिजन और कानून के बीच कोई संबंध नहीं होना चाहिए लेकिन भारत में, जाति और धर्म पर आधारित कानूनों और विवाह अधिनियमों ने एक खंडित सामाजिक संरचना को जन्म दिया है। इसलिए एक समान नागरिक संहिता की मांग बढ़ रही है जो सभी जातियों, धर्मों, वर्गों और समुदायों को एक ही प्रणाली में एकीकृत करती है और असमान कानूनों का अस्तित्व न्यायिक प्रणाली को भी प्रभावित करता है, उसे समाप्त करती है।