वर्तमान में सोयाबीन के दाम 4200 से 4800 रुपए क्विंटल हैं। जो 5 साल में अब तक के न्यूनतम स्तर पर हैं। इसके चलते नीमच, रतलाम, मंदसौर सहित प्रदेश में किसानों द्वारा विरोध किया जा रहा है। मनासा क्षेत्र के किसानों ने प्रदर्शन कर सोयाबीन नहीं बेचने का निर्णय लिया है। दाम कम होने के पीछे 2 मुख्य कारण सामने आए हैं। एक बड़ी मात्रा में सोयाबीन व पॉम ऑइल विदेशों से आयात होना एवं देशभर में खुले एथेनॉल प्लांट। इससे किसानों काे मुनाफा कम मिल रहा है लेकिन सोयाबीन तेल के दाम कम होने से आमजन को बड़ी राहत मिली है।
मंडी व्यापारी शैलेंद्र गर्ग व अन्य जानकारों के अनुसार जिले सहित प्रदेश में 2 से 3 साल पहले से मंडी में सोयाबीन के दाम 5500 से 10 हजार रुपए क्विंटल तक थे। इस साल 3600 से 4500 रुपए तक मिल रहे हैं। इससे किसानों में आक्रोश है। प्रदेश के कई क्षेत्रों में किसानों ने सोयाबीन की फसल को हंकवा दिया है। नीमच जिले की मनासा विधानसभा क्षेत्र में किसानों ने भी विरोध तेज कर दिया है। उनका कहना है कि वर्तमान में सोयाबीन की जो कीमत है, वही 10 साल पूर्व थी। मनासा देवरी खवासा के किसानों ने प्रदर्शन कर सरकार से सोयाबीन के न्यूनतम दाम 6 हजार रुपए दिए जाने की मांग की। एसडीएम को ज्ञापन भी दिया। तेल इंडस्ट्री भी नहीं दे पा रही ऊंचे दाम, किसानों में आक्रोश मनासा क्षेत्र के मदनलाल पटेल, रमेश पाटीदार, इंद्रमल पाटीदार, संदीप आजाद, अंबाराम गुर्जर, जमनालाल राठौर वह अन्य किसानों सहित 500 से अधिक महिलाओं ने शुक्रवार रात चारभुजा मंदिर देवरी खवासा में बैठक की। निर्णय लिया कि जब तक सोयाबीन के भाव 6 से 7 हजार तक नहीं होंगे तब तक वे सोयाबीन नहीं बेचेंगे। इधर, सोयाबीन तेल उद्योगपतियों व जानकारों के अनुसार सरकार ने विदेशों से तेल का आयात खोल रखा है। उत्पादन अधिक होने व निर्यात नहीं होने से देश में ही पर्याप्त सोयाबीन है। इससे मांग कम है। बड़ी मात्रा में कंपनियों ने स्टॉक कर रखा है जिसके चलते तेल इंडस्ट्री में भी मांग कम है। होलसेल में शनिवार को सोयाबीन तेल की कीमत 96 रुपए किलो रही। जब तेल ही 100 रुपए किलो बिक रहा तो सोयाबीन के 60-70 रुपए भी कोई क्यों देगा। इस कारण सोयाबीन के दाम कम हैं। जिले में इस बार कुल 1 लाख 77 हजार 235 हेक्टेयर में बोवनी हुई। जिसमें सोयाबीन का कुल रकबा 1 लाख 37 हजार 573 हेक्टेयर रहा। एथेनॉल प्लांट की वजह से पोल्ट्री फॉर्म में मांग कम जानकारों के अनुसार देश में एक-दो साल में 70 से 80 नए एथेनॉल प्लांट खुले हैं। इनमें मक्का व चावल को प्रोसेस कर एथेनॉल बनाया जाता है। जो वेस्ट बचता है उसमें प्रोटीन अच्छा रहता है जिससे मुर्गियों के लिए बॉय प्रोडक्ट बनने लगे। इससे मुर्गियों के लिए अच्छे प्रोटीन वाला भोजन 19 से 35 रुपए किलो में मिलने लगा है। इससे देश में पोल्ट्री फॉर्म में लगने वाला करीब 7 से 8 लाख टन का व्यापार प्रभावित हुआ है। वहां सोयाबीन की मांग कम होने लगी है। आवक पर बड़ा असर बना है।