मौत के कुएं से कम नहीं पिसनारी गांव का पुल:टूटने की कगार पर पुल, जान जोखिम में डाल कर निकल रहे लोग

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साल 2022 में गुजरात के मोरबी में जब पुल हादसा हुआ था तो उसने पूरे देश को झकझोर के रख दिया था। क्योंकि, पुल के जिम्मेदारों ने कभी पुल की देखरेख में दिलचस्पी नहीं ली थी। ऐसे ही एक पुल दतिया में है। पुल की दशा ऐसी है कि आप देखने के बाद सिहर जाएंगे। आलम यह है कि पुल कब टूट कर गिर जाए और मौत का कारण बन जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। दतिया के गांव पिसनारी में अंगुरी बेराज डेम की नहर पर पुल बना है। इसे मौत के कुएं से भी भयंकर कहा जा सकता है। आलम यह है कि कभी भी टूट कर गिर सकता है। 4 गांव के लोगों की आवाजाही इस पुल में लगी चद्दर लगभग 80 प्रतिशत से अधिक गल चूंकि है। हैरानी की बात यह है कि, मौत को दावत देते इस पुल से 4 गांवों के लोगों का आना जाना रहता है। गांव वालों के पास इसके अलावा नहर पार करने का कोई वैकल्पिक मार्ग नहीं है। ग्रामीण हथेली पर जान लेकर हर रोज इस पुल को पार करते हैं। गुणवत्ता पर उठाई थी आवाज बता दें कि, राजघाट विभाग द्वारा इस पुल का निर्माण 2011-2012 में कराया गया था। जब पुल का निर्माण हो रहा था तो ग्रामीणों ने इसकी गुणवत्ता को लेकर आवाज उठाई थी। लेकिन, उस समय विभाग के जिम्मेदारों के कान में जूं तक न रेंगी। यह पुल 10 साल भी नहीं चल सका। सरकारी धन का किस तरह से बंदरबांट हुआ, इसका नजारा अब दिखने लगा है। 1.65 करोड़ में बना था पुल बताया गया है कि, यह पुल 1.65 करोड़ के बजट से बनाया गया था। यह पुल 10 साल भी नही चला और इस की चद्दर गल चुकी थी। साल 2023 में आदे पुल की चद्दर तो बदल दी गई थी और बाकी हिस्से को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि एक साल पहले ही इस पुल के निर्माण की मरम्मत के लिए विभाग को अवगत कराया गया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। नहीं है कोई वैकल्पिक मार्ग राहगीर राघवेंद्र यादव का कहना है कि, यह पुल टूटने के कगार पर है। कभी भी कोई भी अप्रिय घटना घट सकती है। पुल से आने-जाने में लोगों को दिक्कत होती है। इस पुल के अलावा और कोई दूसरा वैकल्पिक रास्ता नहीं है। पहले हो चुके है हादसे वहीं ग्रामीण सोबरन यादव ने बताया कि, इस पुल पर पहले भी घटनाएं हो चुकी हैं। करीब 6 माह पूर्व एक भैंस पुल की चद्दर टूटने के कारण उसमें फंस गई थी। जिसे मुश्किल से बाहर निकाला गया था। इसके बाद गांव का एक बच्चा साइकिल से पुल पार कर रहा था। जो साइकिल सहित नहर में गिर गया था। मछुआरों ने बच्चे को देखा और उसे उसे बाहर निकाल लिया था। अभी दो दिन पहले एक बाइक फस गई थी। जिसे ग्रामीणों ने बमुश्किल बाहर निकली थी। समय पर पुल की मरम्मत नहीं हुई तो कोई भी बड़ी घटना हो सकती है। चेतावनी लिख भुला प्रशासन जिला प्रशासन ने पुल के दोनों और चेतावनी लिखी है। जिस में उल्लेख किया गया है कि, सावधान यह पुल क्षतिग्रस्त हो गया है। इससे आना-जाना पूर्णत: प्रतिबंधित, अत: किसी भी दुर्घटना के लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे। ग्रामीणों का आरोप है कि, यह चेतावनी करीब 2 साल पहले लिखी गई थी। पुल क्षतिग्रस्त है क्या प्रशासन की जिम्मेदारी इसे ठीक कराना नहीं है। किसी कारण बस होगा था काम बंद राजघाट नहर संभाग के अधीक्षक यंत्री अनिल दीक्षित ने कहा कि टेंडर लगा हुआ है, अभी डेढ़ साल हो गया है। बीच में किसी कारण बस काम बंद हो गया था। ठेकेदार से बात की है। एक या दो दिन में काम चालू हो जाएगा। इसी महीने काम पूरा हो जाएगा। पुल क्षतिग्रस्त होने के चलते ग्रामीणों को निकलने के लिए हमने रोक लगाई है।